आज ही के दिन लहू था बिखरा पुलवामा की माटी में। आज ही के दिन लहू था बिखरा पुलवामा की माटी में।
गर्व में तेरे पला बढ़ा मैं नौ महीने बोझ उठाया दर्द दिया जब पैदा हुआ मेरे लिए माँ तूने गर्व में तेरे पला बढ़ा मैं नौ महीने बोझ उठाया दर्द दिया जब पैदा हुआ मेरे लिए म...
तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते हों, तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते...
कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा कवि कैसा चोर-सा होड़-सा और मोर-सा
मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ। मानता हूँ मैं कि सांवला जरूर हूँ। मगर मन का मैं बिल्कुल शीशा हूँ।
दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...! दिल तोड़कर किसी का मुस्कराते हैं लोग...!